कोविड काल, मतलब लगभग स्वास्थ्य आपात काल कह लीजिये, ऐसे में चाहिए कि स्वास्थ व्यवस्था चाकचौबंद हो, तैयारी पूरी हो। अब जरा तस्वीर पर भी सरपट निगाह दौड़ा लीजिये, ये क्या?जी हाँ गोपालगंज सदर अस्पताल है। जो महीनों भर से इस स्तिथि में है। दृशय ये है कि आप तो अंदर घुस ही पाएंगे।फिर भी मरीज मुश्किल से सदर अस्पताल गोपालगंज जा रहे है! बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री की ब्यवस्था हुये सवाल खड़े।
रविरंजन प्रसाद व प्रदीप देव ने कहा कि तथाकथित सुशासन के राज का नमूना आपको हर गली, हर घर, हर मोड़ पर मिल जाएगा जहां बिहार और बिहारी चीख चीख कर बोलते मिलेंगे की विकास के नाम पर ठगने वाले, खौफ़ का माहौल बना झूठ का व्यपार करने वाले नीतीश बाबू भावनाओ से खेलते है बस। अब इस सोने पर सुहागा ये है कि इसी गोपालगंज के प्रत्यय अमृत स्वास्थ विभाग के मुख्य सचिव भी है, अब जिसके घर का ये हाल है, और जगहों की कल्पना हम आप हर कोई आसानी से कर सकता है। जनता मरती है मरे, नीतीश जी अपने जिद्द की राजनीति करेंगे, अपने मनपसंद चाटुकारों को मुख्य पद देंगे, दुर्गति होगी तो जनता की आम अवाम की… पर खुद को कुर्सी का मालिक समझने वाले नीतीश जी भूल गए हैं, कुर्सी जिस जनता ने दी है वो छीन भी सकती है, और इस बार बिहार की जनता ने जो झेला है उसके परिणाम जल्द ही चुनाव परिणाम के रूप में सामने होंगे, हम सब तो हर कष्ट झेल गए क्या नीतीश जी सत्ता से दूर रहने का कष्ट झेल पाएंगे।
गोपालगंज सदर अस्पताल पर आय दिन कभी डॉ को न होना,या सही इलाज न होने का आरोप लगता आ रहा है।यहाँ तक कि सदर अस्पताल में डॉ के नाक के नीचे दलाल तक बैठे है।जो यहाँ से रेफर बाहर के निजी किलिनीक पर भेजने जेसे आरोप तक लग चुका है।सरकार तो दूर यहाँ बैठे नेतागण की भी नजर इस ब्यवस्था पर नही है।